यह पृष्ठ अन्य भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
इस विकि पर "मेवाड़+इन्हें भी देखें" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
झड़प के बाद मेवाड़ और मुगलों ने एक संधि में प्रवेश किया। अंग्रेजी सरकार के दौरान राजस्थान के अन्य सभी राजपूत रजवाड़ो की तरह मेवाड़ रजवाड़ा भी अंग्रेजी सरकार... |
उदयपुर रियासत (मेवाड़ रियासत से अनुप्रेषित) गया। लॉर्ड डलहौजी द्वारा 1852 में उदेपुर (मध्यप्रदेश) का विलय किया गया था ना की उदयपुर (राजस्थान)का कृपया इसे शुद्ध करे मेवाड़ मेवाड़ी मेवाड़ रियासत... |
को मेवाड़ भील कोर की स्थापना हुई। अप्रैल 1841 में गवर्नर जनरल ने अपनी सलाहकार परिषद की सलाह पर मेवाड़ भील कोर के गठन को स्वीकृति प्रदान की। मेवाड़ भील... |
उदयसिंह प्रथम (श्रेणी मेवाड़ के शासक) . उदयसिंह प्रथम (? -१४७३) इन्हें कभी-कभी उदयकरण या उदाह या ऊदा के नाम से भी जाने जाते थे और ये एक मेवाड़ साम्राज्य के महाराणा (१४६८ से १४७३) थे । ये महाराणा... |
अमर सिंह प्रथम (श्रेणी मेवाड़ के शासक) पश्चात वो उदयपुर मेवाड़ में उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी पर बैठे। अमर सिंह महाराणा प्रताप के सबसे बड़े पुत्र थे। उनका परिवार मेवाड़ के शाही परिवार... |
(1.)मेवाड़ के गुहिल - नामकरण– इस वंश के प्रतापी शासक गुहिल के नाम से इस वंश का नाम गुहिल हुआ तथा बाद में यह वंश गहलोत भी कहलाया। - गुहिल वंश की उत्पत्ति... |
महाराणा प्रताप (श्रेणी मेवाड़ के शासक) में घटित हुआ, जिसके कारण कर्नल जेम्स टाॅड ने इस युद्ध को "मेवाड़ का मैराथन" कहा है। मेवाड़ के उत्तरी छोर का दिवेर का नाका अन्य नाकों से विलक्षण है। इसकी... |
राजवंश मेवाड़ पर वर्ष 1303 तक शासन करता रहा जब मुसलमान आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर घेरा डालकर गुहिलों को पराजित करा था | मेवाड़ का प्राचीन... |
उदयपुर को पहले मेवाड़ के नाम से जाना जाता था। इस शहर ने बहुत कम समय में देश को कई देशभक्त दिए हैं। यहां का मेवाड़ राजवंश अपने को सूर्य से जोड़ता है। यहां... |
बप्पा रावल (श्रेणी मेवाड़ के शासक) कालभोज) (शासन: ७१३ - ८१०) मेवाड़ राज्य में क्षत्रिय कुल के गुहिल राजवंश के संस्थापक और एक महापराक्रमी शासक थे। बप्पारावल का जन्म मेवाड़ के महाराजा गुहिल की... |
करते थे | ये मेवाड़ के शस्त्रागार (मायरा) के प्रमुख थे | मेवाड़ के सैनिकों के पगड़ी के स्थान पर शिरस्त्राण पहन कर युद्ध लड़ने का श्रेय इन्हें ही जाता है।... |
झीलों के कारण यह शहर झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है। राजस्थान का यह सुन्दर शहर... |
हंसाबाई (अनुभाग मेवाड़ की रानी के रूप में) हंसाबाई मारवाङ के राजा रणमल की बहन थी। हंसा बाई 15वीं शताब्दी की शुरुआत में मेवाड़ के राजपूत साम्राज्य की रानी थीं। वह महाराणा लाखा सिंह की पत्नी और उनके उत्तराधिकारी... |
मेवाड़ी (अंग्रेज़ी: Mewari) भारतीय राज्य राजस्थान की राजस्थानी भाषा की एक प्रमुख बोली यानि उपभाषा है जो हिन्द-आर्य भाषा परिवार के अंतर्गत आती है। यह बोली... |
हल्दीघाटी (अनुभाग इन्हें भी देखें) अपने शिविरों में परेशान किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मेवाड़ में मुगल सैनिक कभी भी शांति से नहीं रहेंगे। प्रताप को पहाड़ों में उनके ठिकानों से बाहर... |
महाराणा कुम्भा (अनुभाग इन्हें भी देखें) महाराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण (मृत्यु 1468 ई.) सन 1433 से 1468 तक मेवाड़ के राजा थे। भारत के राजाओं में उनका बहुत ऊँचा स्थान है। उनसे पूर्व राजपूत... |
सिसोदिया (राजपूत) (श्रेणी मेवाड़) पृथ्वीराज विजय काव्य से होती है। मेवाड़ के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से उनके सबसे प्राचीन अभिलेख मिले है। अत: वहीं से मेवाड़ के अन्य भागों में उनकी विस्तार हुआ... |
मोहन सिंह मेहता (अनुभाग इन्हें भी देखें) मेहता का परिवार मेवाड़ रियासत में महत्वपूर्ण था। इनके पूर्वज रामसिंह मेहता मेवाड़ राज्य में प्रधान थे। उनके पुत्र जालिम सिंह भी मेवाड़ सरकार में बड़े पदों... |
रूप में वर्णित किया है। हद तो यह भी हुई कि यह काम ऐसे इतिहासकारों ने कुछ ज्यादा ही किया है, जिन्होंने मेवाड़ को देखा ही नहीं। क्षेत्रीय स्रोतों को महत्व... |
राणा सांगा (श्रेणी मेवाड़ के शासक) महाराणा कुंभा के बाद,सबसे प्रसिद्ध महाराजा थे। मेवाड़ में सबसे महत्वपूर्ण शासक। इन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना... |